June 2025 आषाढ़ अमावस्या 2025 में कब है? जानिए जून 2025 में पड़ने वाली इस अमावस्या का महत्व, पूजा विधि, पितृ तर्पण और शुभ कार्यों की सम्पूर्ण जानकारी।

हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह की अमावस्या तिथि को विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है, लेकिन आषाढ़ मास की अमावस्या का स्थान विशेष रूप से पवित्र और शुभ माना जाता है। यह दिन न केवल पितरों की शांति के लिए महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह अनेक धार्मिक कार्यों के लिए भी उपयुक्त माना जाता है।
आषाढ़ अमावस्या क्या है?
June 2025 आषाढ़ अमावस्या, हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की अंतिम तिथि है। यह तिथि धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ मानी जाती है, खासकर पितृ तर्पण, दान-पुण्य और आध्यात्मिक साधना के लिए।
आषाढ़ अमावस्या 2025 की तिथि और समय
June 2025 में आषाढ़ अमावस्या तिथि 25 जून, दिन बुधवार को पड़ रही है।
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 24 जून 2025, दिन मंगलवार को रात 11:02 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 25 जून 2025, दिन बुधवार को रात 11:18 बजे तक
आषाढ़ अमावस्या के दिन व्रत, स्नान, दान और पितरों के निमित्त तर्पण करना विशेष पुण्यदायी माना जाता है।
June 2025 की अमावस्या का धार्मिक महत्व
आपकी जानकारी के लिए अपको बता दे की June 2025 यानि आषाढ़ अमावस्या को कई नामों से जाना जाता है जैसे कि हली अमावस्या, वाट सावित्री अमावस्या (कुछ क्षेत्रों में), और पितृ अमावस्या। यह तिथि आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
1. पितृ तर्पण और श्राद्ध:
अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान कर पितरों के नाम तर्पण और श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और परिवार को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही वंश में भी सुख-समृद्धि बनी रहती है।
2. स्नान और दान का महत्व:
अमावस्या के दिन गंगा, यमुना, नर्मदा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना पुण्यदायक माना जाता है। स्नान के पश्चात अन्न, वस्त्र, जल, छाता, जूते, तिल आदि का दान करने से पापों का भी क्षय होता है।
3. नकारात्मक ऊर्जा का नाश:
ऐसा कहा जाता हैं की अमावस्या को चंद्रमा नहीं दिखाई देता, जिससे वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। इस दिन हनुमान जी, शनि देव और पितृ देवताओं की पूजा से इन प्रभावों से राहत मिलती है।
4. कष्टों से मुक्ति का दिन:
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अमावस्या तिथि पर किए गए उपाय जैसे दीपदान और मंत्र जाप से नकारात्मक ऊर्जा और ग्रह दोषों का नाश होता है।
5. जल स्रोतों की पूजा:
ऐसा माना जाता हैं की इस दिन नदियों और तालाबों की पूजा करना शुभ होता है। यह जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन के लिए एक प्रकार का संदेश देता है।

आषाढ़ अमावस्या की पूजा विधि
June 2025 आषाढ़ अमावस्या पर पूजा और उपायों के जरिए जीवन की कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
पूजा विधि:
- प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और पवित्र नदी या घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- पितरों के नाम जल में तिल, पुष्प और काले तिल डालकर तर्पण करें।
- हनुमान जी और शनि देव की पूजा करें, उन्हें तिल के तेल का दीपक अर्पित करें।
- जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, छाता, फल आदि का दान करें।
- शाम के समय आप घर में एक दीप जलाए और हवन करें फिर उसके बाद “ॐ पितृदेवताभ्यः नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
दान करना ही सबसे बढ़ी पूजा हैं अतः आप इस दिन जरूरतमंदों को भोजन और दान अवश्य करें।
विशेष उपाय:
- शनि दोष से मुक्ति के लिए आप आषाढ़ अमावस्या दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- पितृ दोष निवारण के लिए इस दिन कौओं, कुत्तों और गाय को भोजन अवश्य कराएं। ऐसा करने से माना जाता हैं की पितरों के आत्मा को शांति मिलती हैं।
- आप सभी इस दिन अपने घर में शुद्धता जरूर बना कर रखें, विशेषकर रसोई और पूजा स्थान को स्वच्छ रखें।
इस दिन क्या न करें?
- झूठ, क्रोध, निंदा और मांस-मदिरा का त्याग करें।
- पवित्र नदियों को गंदा न करें।
- पितृ तर्पण के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
आषाढ़ अमावस्या और शनि पूजा
हालांकि 2025 में शनि जयंती किसी और दिन है, लेकिन फिर भी इस दिन शनि देव की आराधना करने से शनि दोषों में राहत मिलती है।
शनिवार को अमावस्या पड़ने पर विशेष प्रभावकारी होती है, जो इस वर्ष ऐसा नहीं हो रहा हैं।
निष्कर्ष
June 2025आषाढ़ अमावस्या केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन किए गए पुण्य कर्म जैसे तर्पण, दान और ध्यान से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और जीवन में सुख-शांति का संचार होता है।
25 June 2025 को आने वाली आषाढ़ अमावस्या आत्मिक शुद्धि, पितृ पूजा और दान-पुण्य के लिए अत्यंत पावन अवसर है। यदि आप इस दिन श्रद्धा से पूजा करते हैं, तो जीवन में सुख, समृद्धि और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे परिवार में सुख शांति बनी रहती हैं।