सावित्री ने अपने पति सत्यवान को मृत्यु से वापस लाया था। उसी श्रद्धा से महिलाएँ व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं।
👉 वट वृक्ष की परिक्रमा 👉 कच्चा धागा (सूत्र) बाँधना 👉 सावित्री-सत्यवान की कथा सुनना 👉 पति की दीर्घायु की प्रार्थना
विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। यह दिन उनके समर्पण, प्रेम और शक्ति का प्रतीक होता है।
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्ण रूप में दिखाई देता है। ध्यान, पूजा और स्नान के लिए यह दिन अत्यंत शुभ होता है।
👉 चंद्र देव की आराधना 👉 सत्यानारायण कथा 👉 मानसिक शांति और पुण्य की प्राप्ति
👉 व्रत रखें 👉 ध्यान करें 👉 गंगा स्नान करें (या घर पर स्नान व दान) 👉 मंत्र जाप करें
पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी, विष्णु भगवान और चंद्रमा की कृपा प्राप्त होती है। यह दिन आत्मिक उन्नति के लिए उत्तम है।
11 जून की रात चंद्रमा पूरे वैभव में दिखाई देगा। खुले आसमान में चंद्र दर्शन करें और मन को शांति से भरें।
📅 10 जून – प्रेम, नारीशक्ति और पति की दीर्घायु 📅 11 जून – ध्यान, शांति और चंद्र कृपा
इन दो पवित्र तिथियों पर अपने जीवन को पुण्य और सकारात्मक ऊर्जा से भरें।