Toyota-Ohmium 2025 टोयोटा और ओमियम ने ग्रीन हाइड्रोजन पर साझेदारी की, भारत में क्लीन एनर्जी और जीरो एमिशन लक्ष्य को मिलेगा बड़ा बढ़ावा।
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (TKM) ने भारत में ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए ओमियम इंटरनेशनल के साथ हाथ मिलाया है। इस साझेदारी का मकसद स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को विकसित करना है ताकि गाड़ियों के लिए एक पर्यावरण-अनुकूल ईंधन तैयार किया जा सके।
टोयोटा की फ्यूल सेल टेक्नॉलजी और ओमियम की एक्सपर्टाइज
टोयोटा फ्यूल सेल टेक्नॉलजी को आगे बढ़ा रही है, जबकि ओमियम हाइड्रोजन प्रोडक्शन के लिए इलेक्ट्रोलाइजर तकनीक में माहिर है। दोनों मिलकर ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाले ऊर्जा विकल्पों जैसे माइक्रोग्रिड पर काम करेंगे, जिनका इस्तेमाल दूरदराज के इलाकों और डेटा सेंटर्स में होगा।
Toyota-Ohmium 2025 के साझेदारी से भारत का क्लीन एनर्जी सपना होगा साकार
भारत सरकार 2047 तक ऊर्जा आत्मनिर्भरता और 2070 तक जीरो एमिशन टारगेट को लेकर प्रतिबद्ध है। ग्रीन हाइड्रोजन इन लक्ष्यों को पाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है, क्योंकि यह रीन्यूएबल एनर्जी को स्टोर कर सकता है और फॉसिल फ्यूल की जगह ले सकता है।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मिलेगा बढ़ावा
भारत सरकार ने 2023 में नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की थी, जिसमें घरेलू हाइड्रोजन उत्पादन और R&D को बढ़ावा दिया जा रहा है। टोयोटा किर्लोस्कर मोटर इस दिशा में अग्रणी है और भारत में फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा दे रही है।
टोयोटा मिराई शोकेस से हाइड्रोजन पर भरोसा
साल 2022 में टोयोटा ने आईकैट के साथ मिलकर टोयोटा मिराई शोकेस प्रोजेक्ट शुरू किया था। यह ग्रीन हाइड्रोजन पर चलने वाला वाहन है, जो पर्यावरण के लिए पूरी तरह सुरक्षित है और आने वाले समय में ईंधन की दुनिया बदल सकता है।
सरकार और कंपनियों का साझा विजन
इस एमओयू पर साइन करते समय केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, ऊर्जा मंत्री श्रीपद नाइक और टोयोटा-ओमियम के टॉप अधिकारियों ने कहा कि हाइड्रोजन फ्यूल भारत को आत्मनिर्भर और क्लीन एनर्जी वाली अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएगा। यह कदम पर्यावरण के साथ-साथ इंडस्ट्री के लिए भी फायदेमंद होगा।
निष्कर्ष: हाइड्रोजन से बदलेगा भारत का भविष्य
टोयोटा और ओमियम की यह साझेदारी भारत में ग्रीन मोबिलिटी को नया आयाम देगी। हाइड्रोजन एक सुरक्षित, किफायती और टिकाऊ विकल्प बन सकता है जो ना सिर्फ गाड़ियों को, बल्कि पूरे ऊर्जा सिस्टम को क्लीन बना सकता है। यह एक बड़ा कदम है कार्बन न्यूट्रल भारत की ओर।
अस्वीकरण:
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