जनरल नॉलेज

Raksha Bandhan History राखी त्यौहार कब, क्यों, कैसे और किस लिए मनातें हैं जानें इसके पीछे कि पूरी कहानी

By Sneha Kushwaha

Updated On:

Follow

Raksha Bandhan History रक्षाबंधन एक प्रमुख भारतीय त्योहार है जिसे भाई-बहन के प्रेम और बंधन को समर्पित किया जाता है। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त माह में आता है। रक्षाबंधन का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्त्व है। इस त्योहार के पीछे कई कहानियां और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। आइए, विस्तार से जानते हैं कि रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है और इस त्योहार का क्या विशेष महत्त्व है।

हर साल सावन मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन 19 अगस्त 2024 सोमवार को है।

भद्राकाल का समय: इस साल 2024 रक्षाबंधन के दिन भद्रा सुबह 5 बजकर 50 मिनट से आरंभ हो जाएगी, जो दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी।

पंचांग के अनुसार इस साल 2024, राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त को दोपहर 01:30 से लेकर रात्रि 09:07 तक रहेगा। इस मुहूर्त में आप भाई को राखी बांध सकती है।

Raksha Bandhan 2024

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now
Instagram Join Now

रक्षाबंधन या राखी शब्द की उत्पत्ति

राखी शब्द की उत्पत्ति और इसके पीछे की कहानी भारतीय संस्कृति और इतिहास में गहराई से जुड़ी हुई है। आइए जानें राखी शब्द की उत्पत्ति और इससे जुड़ी कहानियों के बारे में।

राखी शब्द संस्कृत भाषा के “रक्षा” शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है “रक्षा करना“। राखी का पूरा अर्थ है “रक्षा का बंधन“। यह शब्द भाई-बहन के रिश्ते की सुरक्षा, प्रेम और समर्पण को दर्शाता है।

रक्षाबंधन संस्कृत के दो शब्दों “रक्षा” और “बंधन” से मिलकर बना है।

रक्षा: इसका अर्थ है सुरक्षा, संरक्षण, या रक्षा करना।

बंधन: इसका अर्थ है बंधन, संबंध, या संबंध का धागा।

इस प्रकार, रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ है “रक्षा का बंधन“। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते में सुरक्षा, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है और बहन उसके लिए प्रार्थना करती है।

संस्कृत में इसे इस प्रकार भी समझाया जा सकता है।

रक्षाबन्धनम् (Rakshabandhan)

शाब्दिक विश्लेषण

रक्षा (Raksha): सुरक्षा, संरक्षा

बंधन (Bandhana): बंधन, संबंध

इस प्रकार, रक्षाबंधन का संस्कृत में भी वही अर्थ है, जो इसकी मूल भावना और परंपरा को दर्शाता है: भाई-बहन के रिश्ते की रक्षा और पवित्रता का बंधन।

Raksha Bandhan History राखी के महत्व

राखी शब्द और इससे जुड़ी कहानियाँ इस त्योहार के महत्व को और भी बढ़ा देती हैं। राखी न केवल भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और प्रेम को दर्शाती है, बल्कि यह सुरक्षा, विश्वास और समर्पण का प्रतीक भी है। रक्षाबंधन का सांस्कृतिक महत्त्व बहुत बड़ा है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और आपसी विश्वास को बढ़ाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई बदले में अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं।

राखी त्योहार के शुरुआती प्रचलन

रक्षाबंधन का त्योहार प्राचीन काल से मनाया जा रहा है, और इसके पीछे कई पौराणिक कथाएँ (Mythological Stories) और ऐतिहासिक संदर्भ या प्रचलन हैं। हालांकि रक्षाबंधन की शुरुआत के लिए कोई निश्चित तिथि या स्थान नहीं बताया जा सकता, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह त्योहार प्राचीन काल से ही भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता, सुरक्षा और प्रेम का प्रतीक रहा है। इसकी परंपरा विभिन्न पौराणिक और ऐतिहासिक संदर्भों (Reference) से जुड़ी हुई है, जो इसे और भी विशेष बनाती है। इसकी शुरुआत के बारे में कुछ प्रमुख कहानियाँ इस प्रकार हैं-

पौराणिक प्रचलन

इंद्र और इंद्राणी के समय

यह कथा पुराणों में मिलती है, जिसमें इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने अपने पति की सुरक्षा के लिए रक्षा सूत्र (राखी) बनाया। जब इंद्र देवताओं के साथ युद्ध में थे और हारने लगे, तब इंद्राणी ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने उन्हें रक्षा सूत्र प्रदान किया, जिसे इंद्राणी ने अपने पति की कलाई पर बांधा। इस घटना से रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

द्रौपदी और श्रीकृष्ण के समय

महाभारत में एक और महत्वपूर्ण घटना है जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की रक्षा की थी। जब द्रौपदी का अपमान किया जा रहा था, तब उन्होंने कृष्ण को अपनी मदद के लिए बुलाया। कृष्ण ने उनके लिए अपनी साड़ी का पलायन (Getaway) कर दिया। इस घटना के बाद द्रौपदी ने कृष्ण को राखी बांधी और उनके प्रति समर्पण व्यक्त किया। इस प्रकार, यह संबंध रक्षाबंधन के त्योहार की शुरुआत के रूप में देखा जाता है।

कर्णावती और हुमायूँ के समय

ऐतिहासिक संदर्भ में, रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजकर उनसे मदद मांगी थी। हुमायूँ ने उनकी रक्षा की वचन दिया और उनकी सहायता की। यह घटना भी रक्षाबंधन की परंपरा को बढ़ावा देने में सहायक रही है।

वेदों में उल्लेख

कुछ विद्वानों का मानना है कि वेदों में भी रक्षा सूत्र का उल्लेख मिलता है। यह रक्षा सूत्र किसी विशेष दिन या परिस्थिति में बांधा जाता था ताकि किसी की रक्षा हो सके। इसे रक्षाबंधन की प्रथा का प्रारंभिक रूप कहा जा सकता है।

ऐतिहासिक प्रचलन

राजपूत और मुगल के समय 

रक्षाबंधन का एक ऐतिहासिक संदर्भ राजपूत और मुगल काल से जुड़ा हुआ है। जब रानी कर्णावती, मेवाड़ की रानी, ने मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर अपनी रक्षा की गुहार लगाई थी। हुमायूं ने राखी का सम्मान करते हुए कर्णावती की रक्षा की थी। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि रक्षाबंधन की प्रथा को सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी मान्यता प्राप्त थी।

मारवाड़ी और गुजराती संस्कृति के समय 

राजस्थान और गुजरात की संस्कृति में रक्षाबंधन का त्योहार बहुत प्रमुखता से मनाया जाता है। यहाँ की प्राचीन कथाओं और लोकगीतों में भी रक्षाबंधन का उल्लेख मिलता है।

निष्कर्ष- रक्षाबंधन की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है और यह समय-समय पर विभिन्न रूपों में प्रकट होती रही है। चाहे पौराणिक कथाएं (Mythological Stories) हों, ऐतिहासिक घटनाएं (Historical Events) हों या सामाजिक परंपराएं (Social Traditions), रक्षाबंधन का त्योहार हमेशा से भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और महत्व को प्रकट करता आया है। यह त्योहार आज भी उतनी ही श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है, जितना कि प्राचीन काल में मनाया जाता था।

रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं

रक्षाबंधन एक प्रमुख भारतीय त्योहार है, जिसे भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की गहराई, सुरक्षा, और प्यार को प्रदर्शित करता है। यह केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो पारिवारिक और सामाजिक बंधनों को मजबूत करने का काम करता है। इस दिन की भावनाएँ और परंपराएँ इसे विशेष बनाती हैं, और इसे मनाने का उद्देश्य भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और महत्व को उजागर करना है। इसके मनाने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण और भावनाएँ हैं आइये विस्तार से जानें।

भाई-बहन के रिश्ते का जश्न: रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते की विशेषता को उजागर करता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, और भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। यह रिश्ते में प्रेम, स्नेह और समर्थन को दर्शाता है।

सुरक्षा का प्रतीक: “रक्षा” शब्द का अर्थ है सुरक्षा। राखी बांधने के साथ बहन अपने भाई से सुरक्षा की कामना करती है, और भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। यह बंधन भाई-बहन के बीच विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक है।

समर्पण और सम्मान: रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई के प्रति अपनी भावनाएँ व्यक्त करती है। यह त्योहार भाई के प्रति बहन के समर्पण और सम्मान को प्रदर्शित करता है। बहनें अपने भाइयों के लिए लंबी उम्र और खुशियों की कामना करती हैं।

संस्कृति और परंपरा: रक्षाबंधन भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का हिस्सा है। यह त्योहार भारतीय समाज में परिवार के महत्व को दर्शाता है और पारिवारिक मूल्यों को मजबूत करता है।

सामाजिक एकता: रक्षाबंधन केवल पारिवारिक बंधन का त्योहार नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है। इस दिन लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं, जिससे सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं।

आध्यात्मिकता: रक्षाबंधन का त्योहार आध्यात्मिकता का भी प्रतीक है। इस दिन की पूजा और अनुष्ठान से भाई-बहन के रिश्ते में धार्मिकता और पवित्रता का समावेश होता है।

सदियों से चली आ रही परंपरा: रक्षाबंधन का त्योहार हर साल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व दिया जाता है।

रक्षाबंधन की पौराणिक कथाएं

इंद्र और इंद्राणी की कथा

एक पौराणिक कथा (Mythological Storie) के अनुसार, देवताओं और दानवों के बीच एक बार भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में देवताओं की स्थिति बहुत खराब हो गई थी। तब इंद्राणी, इंद्र की पत्नी, ने अपने पति की रक्षा के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने इंद्राणी को एक रक्षा सूत्र (राखी) दिया और इसे इंद्र की कलाई पर बांधने को कहा। इस रक्षा सूत्र के प्रभाव से इंद्र युद्ध में विजयी हुए।

कृष्ण और द्रौपदी की कथा

Raksha Bandhan 2024 krishna aur dropadi

महाभारत के समय की एक कथा है जिसमें श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया और उनका हाथ घायल हो गया। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर कृष्ण के हाथ पर बांध दिया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वे हर परिस्थिति में उनकी रक्षा करेंगे। इसी वचन को निभाते हुए कृष्ण ने द्रौपदी का चीर हरण होने से बचाया।

यम और यमी की कथा

एक और कथा के अनुसार, यमराज और उनकी बहन यमी के बीच रक्षाबंधन का प्रसंग आता है। यमी ने अपने भाई यमराज की कलाई पर राखी बांधी और अमरत्व का वरदान मांगा। यमराज ने उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उसे अमरत्व का वरदान दिया और यह प्रथा शुरू हुई कि भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देंगे।

राखी में रेशम का रहस्य 

रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए रेशम के धागे का उपयोग करने के पीछे एक गहरा सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व है। रेशम का धागा अपनी कोमलता, मजबूती, और पवित्रता के लिए जाना जाता है, जो राखी के उद्देश्य और भावना के साथ बहुत ही उपयुक्त है। राखी में रेशम के धागे का उपयोग उसकी कोमलता, मजबूती, पवित्रता, और सांस्कृतिक महत्व के कारण किया जाता है। यह धागा भाई-बहन के रिश्ते की गहराई, स्थायित्व, और महत्ता को दर्शाता है। रेशम का धागा न केवल एक प्रतीक है, बल्कि एक भावनात्मक और आध्यात्मिक बंधन भी है, जो रक्षाबंधन को और भी विशेष बनाता है। आइए जानते हैं रेशम के धागे के उपयोग के पीछे के रहस्यों के बारे में।

कोमलता और प्रेम का प्रतीक

रेशम का धागा कोमल और मुलायम होता है, जो भाई-बहन के रिश्ते की कोमलता और मिठास को दर्शाता है। यह प्रेम और स्नेह का प्रतीक है, जो बहन अपने भाई की कलाई पर बांधती है। यह धागा बताता है कि भाई-बहन का रिश्ता भी इसी तरह कोमल और संवेदनशील होता है, जिसे सहेजना और संवारना बहुत जरूरी है।

मजबूती और सुरक्षा का प्रतीक

रेशम का धागा कोमल होने के साथ-साथ मजबूत भी होता है। यह भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती और स्थायित्व का प्रतीक है। जैसे रेशम का धागा टूटता नहीं है, वैसे ही भाई-बहन का रिश्ता भी अटूट होता है। यह सुरक्षा और संरक्षण का प्रतीक है, जो भाई अपनी बहन को वचन के रूप में देता है।

पवित्रता और शुभता

रेशम का धागा पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इसे धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा में विशेष महत्व दिया जाता है। राखी के रूप में रेशम के धागे का उपयोग भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और शुभता को दर्शाता है। यह बताता है कि यह बंधन पवित्र है और इसमें धार्मिकता और शुभता का समावेश है।

सांस्कृतिक परंपरा

रेशम का धागा भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे त्यौहारों और विशेष अवसरों पर उपयोग किया जाता है। रक्षाबंधन पर रेशम की राखी बांधने की प्रथा भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। यह हमारे त्योहारों की विशिष्टता और पारंपरिकता को बनाए रखता है।

आध्यात्मिक महत्व

रेशम का धागा आध्यात्मिकता का भी प्रतीक है। इसे मंत्रों और पूजा के साथ बांधा जाता है, जिससे इसमें आध्यात्मिक ऊर्जा का समावेश होता है। राखी बांधते समय मंत्रों का उच्चारण और पूजा की प्रक्रिया इसे और भी पवित्र और आध्यात्मिक बनाती है।

राजसी और ऐश्वर्य का प्रतीक

रेशम प्राचीन काल से ही राजसी और ऐश्वर्य का प्रतीक रहा है। इसे राजाओं और महाराजाओं के वस्त्रों में उपयोग किया जाता था। राखी के रूप में रेशम का धागा भाई-बहन के रिश्ते की महत्ता और गरिमा को दर्शाता है। यह बताता है कि यह बंधन राजसी है और इसे उसी सम्मान और महत्ता के साथ निभाना चाहिए।

प्राकृतिक उत्पाद

रेशम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होता है, जो इसे पर्यावरण के अनुकूल और शुद्ध बनाता है। यह भाई-बहन के रिश्ते की स्वाभाविकता और शुद्धता को दर्शाता है। प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने के कारण यह धागा और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

रक्षाबंधन पर राखी बांधने की महत्वपूर्ण विधि  

रक्षाबंधन पर राखी बांधने की प्रक्रिया में पूजा विधि का विशेष महत्व है। यह विधि पवित्रता, शुभता और भाई-बहन के रिश्ते की गहराई को दर्शाती है। रक्षाबंधन की पूजा विधि भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और महत्वपूर्णता को दर्शाती है। यह विधि केवल राखी बांधने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसमें धार्मिकता, शुभता और आध्यात्मिकता का समावेश होता है। पूजा के दौरान किए गए अनुष्ठान भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत और पवित्र बनाते हैं। आइए जानते हैं विस्तार में राखी पूजा विधि क्या हैं।

सामग्री

राखी: विभिन्न रंगों और डिज़ाइनों की राखी।
थाली: पूजा के लिए थाली।
दीपक: एक मिट्टी का दीपक, तेल और बाती।
कुमकुम और चावल: तिलक के लिए।
रोली: पूजा के लिए।
मिठाई: प्रसाद के रूप में।
पानी का कलश: पानी के लिए।
धूप: सुगंधित धूप।

पूजा विधि
स्नान और तैयारी
  • सबसे पहले, स्नान करें और नये कपड़े पहनें।
  • पूजा स्थल को साफ करें और वहां एक आसन बिछाएं।
पूजा थाली सजाना
  • एक थाली लें और उसमें राखी, कुमकुम, चावल, रोली, दीपक, धूप, मिठाई और पानी का कलश रखें।
  • दीपक में तेल और बाती डालकर जलाएं।
भगवान की पूजा
  • पूजा थाली को भगवान के सामने रखें और सबसे पहले भगवान की पूजा करें।
  • धूप और दीपक जलाकर भगवान को अर्पित करें।
  • भगवान को तिलक लगाएं और फूल चढ़ाएं।
भाई का आसन
  • भाई को एक साफ आसन पर बैठाएं।
  • भाई के माथे पर कुमकुम और चावल का तिलक लगाएं।
राखी बांधना
  • राखी को भाई की कलाई पर बांधें।
  • राखी बांधते समय भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करें।
  • राखी बांधने के बाद भाई को मिठाई खिलाएं।
प्रसाद वितरण
  • भाई को मिठाई खिलाने के बाद, बाकी परिवार के सदस्यों को भी प्रसाद बांटें।
  • पूजा के बाद सभी को प्रसाद का वितरण करें।
भाई का आशीर्वाद और उपहार
  • राखी बांधने के बाद भाई से आशीर्वाद लें।
  • भाई अपनी बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा का वचन देता है।
ध्यान और प्रार्थना
  • अंत में, भगवान का ध्यान करें और प्रार्थना करें कि भाई-बहन का यह रिश्ता हमेशा मजबूत और खुशहाल बना रहे।

रक्षाबंधन कहा-कहा मनाया जाता हैं

रक्षाबंधन भारत में एक प्रमुख त्योहार है, जिसे देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा, यह त्योहार उन देशों में भी मनाया जाता है जहाँ भारतीय समुदाय के लोग बसे हुए हैं। बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और मजबूती को प्रकट करता है और इसे मनाने का उद्देश्य समान है भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के बंधन को मजबूत करना। आइए जानते हैं रक्षाबंधन किन-किन स्थानों पर मनाया जाता है।

भारत

उत्तर भारत: दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में रक्षाबंधन बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इन राज्यों में इसे पारंपरिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ मनाया जाता है।

पश्चिम भारत: महाराष्ट्र, गुजरात, और गोवा में भी रक्षाबंधन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यहाँ इसे “नारियल पूर्णिमा” के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें समुद्र की पूजा की जाती है।

पूर्वी भारत: पश्चिम बंगाल, ओडिशा, और बिहार में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। यहाँ इसे भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

दक्षिण भारत: कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, और केरल में रक्षाबंधन का त्योहार कुछ हद तक अलग रूप में मनाया जाता है। यहाँ इसे “अवनि अवित्तम” के रूप में मनाया जाता है, जिसमें यज्ञोपवीत (जनेऊ) बदलने की परंपरा है।

मध्य भारत: मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में रक्षाबंधन का त्योहार पारंपरिक और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया जाता है।

विदेश

नेपाल: नेपाल में रक्षाबंधन को “जनै पूर्णिमा” के रूप में मनाया जाता है, जहाँ ब्राह्मण अपने यज्ञोपवीत (जनेऊ) बदलते हैं और सभी लोग राखी बांधते हैं।

मॉरीशस: मॉरीशस में भारतीय मूल के लोग रक्षाबंधन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।

फिजी: फिजी में भी भारतीय समुदाय रक्षाबंधन को उत्साहपूर्वक मनाता है।

सुरिनाम: सुरिनाम में भारतीय समुदाय रक्षाबंधन को अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाता है।

त्रिनिदाद और टोबैगो: यहाँ भी रक्षाबंधन भारतीय समुदाय के बीच एक महत्वपूर्ण त्योहार है।

संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका में बसे भारतीय समुदाय रक्षाबंधन को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। भारतीय सांस्कृतिक संगठनों द्वारा विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

कनाडा: कनाडा में भी भारतीय समुदाय रक्षाबंधन को मनाता है, जहाँ परिवार और मित्रों के बीच राखी बांधने की परंपरा निभाई जाती है।

यूनाइटेड किंगडम: ब्रिटेन में भी रक्षाबंधन भारतीय समुदाय के बीच महत्वपूर्ण त्योहार है। यहाँ के मंदिरों और सांस्कृतिक संगठनों में इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम होते हैं।

ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड: यहाँ भी भारतीय मूल के लोग रक्षाबंधन को पारंपरिक तरीके से मनाते हैं।

सिंगापुर और मलेशिया: सिंगापुर और मलेशिया में बसे भारतीय समुदाय के लोग रक्षाबंधन को उत्साहपूर्वक मनाते हैं।

रक्षाबंधन से जुड़े लोगों के मन मे चल रहे महत्वपूर्ण प्रश्न

Q-राखी रात मे क्यों नहीं बांधी जाती हैं 

रक्षाबंधन का त्योहार विशेष रूप से पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, और इसे रात में मनाने की परंपरा नहीं है क्योंकि यह दिन के समय की विशेषता, पूजा के विधि, और पारिवारिक एकता को बढ़ावा देने के लिए निर्धारित है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और पवित्रता को दर्शाने वाला है, जो दिन के समय मनाने पर और भी प्रभावी होता है। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं आइए विस्तार से जाने।

शुभ मुहूर्त: रक्षाबंधन का पर्व पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जब चंद्रमा अपनी पूर्णता पर होता है। इस दिन को शुभ और पवित्र माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि शुभ काम दिन में करना चाहिए, खासकर जब चंद्रमा की रोशनी होती है।

पारिवारिक एकता: रक्षाबंधन का त्योहार परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मनाने का अवसर होता है। दिन के समय सभी परिवार के सदस्य एकत्रित होते हैं, जिससे भाई-बहन के बीच प्रेम और बंधन को महसूस किया जा सके।

पूजा की विधि: राखी बांधने की प्रक्रिया में पूजा और अनुष्ठान का महत्व है, जो दिन के समय अधिक प्रभावी और पवित्र होता है। पूजा का समय दिन में होता है, जब सभी सदस्य मिलकर पूजा कर सकें और एक-दूसरे को मिठाई और आशीर्वाद दे सकें।

सुरक्षा और सामंजस्य: रक्षाबंधन का मतलब “रक्षा का बंधन” है, और इस दिन भाई अपनी बहन की सुरक्षा का वचन देता है। दिन के समय मनाने से यह भावना और भी गहरी हो जाती है, क्योंकि यह परिवार के सभी सदस्यों की उपस्थिति में होता है।

संस्कृति और परंपरा: भारतीय संस्कृति में अधिकांश त्योहार दिन के समय मनाने की परंपरा है। रक्षाबंधन भी इस परंपरा का पालन करता है, जिससे इसे अधिक महत्व और श्रद्धा के साथ मनाया जा सके।

Q-बाहरी देश के लोग रक्षाबंधन के बारे मे क्या सोचते हैं 

रक्षाबंधन, एक ऐसा त्योहार है जो भारतीय संस्कृति और परंपरा का अद्वितीय हिस्सा है। विदेशों में रहने वाले लोग और वहाँ के स्थानीय लोग इस त्योहार के बारे में विभिन्न दृष्टिकोण और सोच रखते हैं। आइए जानते हैं बाहरी देशों के लोग रक्षाबंधन के बारे में क्या सोचते हैं

सांस्कृतिक विविधता का सम्मान

  • कई विदेशी लोग रक्षाबंधन को भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। वे इसे सांस्कृतिक विविधता और विभिन्न परंपराओं के उत्सव के रूप में देखते हैं।
  • वे इस त्योहार को भारतीय समाज में पारिवारिक और सामाजिक बंधनों की मजबूती का प्रतीक मानते हैं।

पारिवारिक मूल्यों की सराहना

  • रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। विदेशी लोग इस त्योहार को भारतीय परिवारों में रिश्तों की गहराई और महत्वपूर्णता को दर्शाने वाले एक सुंदर और अद्वितीय उत्सव के रूप में देखते हैं।
  • वे इस त्योहार की प्रशंसा करते हैं क्योंकि यह परिवार के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम और स्नेह को बढ़ावा देता है।

रक्षा और संरक्षण का संदेश

  • रक्षाबंधन के पीछे का संदेश, जिसमें भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है, को विदेशी लोग बहुत सकारात्मक और महत्वपूर्ण मानते हैं।
  • यह संदेश विशेष रूप से उन्हें प्रभावित करता है क्योंकि यह समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को बढ़ावा देने का प्रतीक है।

धार्मिक और आध्यात्मिक पहलू

  • रक्षाबंधन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी विदेशी लोगों को आकर्षित करता है। वे इस त्योहार को एक धार्मिक अनुष्ठान और आध्यात्मिक बंधन के रूप में देखते हैं, जो भाई-बहन के रिश्ते को और भी पवित्र बनाता है।
  • कई लोग इसे भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा मानते हैं और इसे समझने और अनुभव करने का प्रयास करते हैं।

सामाजिक एकता और भाईचारा

  • रक्षाबंधन का त्योहार समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देता है। विदेशी लोग इस पहलू को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं और इसे सामाजिक समरसता और सहयोग के प्रतीक के रूप में देखते हैं।
  • कई लोग इसे भारतीय समाज में मजबूत सामाजिक बंधनों और सहयोग की भावना के उदाहरण के रूप में देखते हैं।

खुशी और उत्सव का अवसर

  • विदेशी लोग रक्षाबंधन को एक खुशी और उत्सव का अवसर मानते हैं। उन्हें यह त्योहार भारतीय समाज में खुशियों और उत्सवों का प्रतीक लगता है।
  • वे इसे भारतीय त्योहारों की जीवंतता और रंग-बिरंगी संस्कृति के रूप में देखते हैं और इसमें शामिल होने का आनंद लेते हैं।

प्रेरणा और उत्साह

  • कई विदेशी लोग रक्षाबंधन से प्रेरित होते हैं और इसे अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं। वे इस त्योहार की भावना को समझते हैं और इसे अपने रिश्तों में शामिल करने का प्रयास करते हैं।
  • कुछ लोग इसे अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर मनाते हैं और भारतीय संस्कृति की इस अद्वितीय परंपरा का हिस्सा बनते हैं।

निष्कर्ष-विदेशी लोग रक्षाबंधन के त्योहार को भारतीय संस्कृति, परिवारिक मूल्यों, सुरक्षा, और सामाजिक एकता का प्रतीक मानते हैं। वे इसे भारतीय समाज में रिश्तों की गहराई और महत्वपूर्णता को दर्शाने वाले एक अद्वितीय और सुंदर उत्सव के रूप में देखते हैं। यह त्योहार उन्हें भारतीय संस्कृति की विविधता, धार्मिकता, और सामाजिक समरसता की झलक दिखाता है, जिसे वे बहुत सकारात्मक और प्रेरणादायक मानते हैं।

Q-इस त्योहार मे क्या है ऐसी खास बातें 

रक्षाबंधन का त्योहार विशेष इसलिए है क्योंकि यह भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत और मिठास से भरने वाला पर्व है। इस त्योहार की कुछ विशेषताएं निम्नलिखित हैं।

भाई-बहन का अटूट बंधन: रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं और उन्हें उपहार देते हैं।

पारंपरिक रस्में: रक्षाबंधन की रस्में पारंपरिक और धार्मिक महत्व रखती हैं। राखी बांधने से पहले बहनें थाल सजाती हैं जिसमें राखी, चावल, कुमकुम, दीपक और मिठाई होती है। पूजा के बाद बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, तिलक लगाती हैं और मिठाई खिलाती हैं।

उपहारों का आदान-प्रदान: इस दिन भाई-बहन एक-दूसरे को उपहार देते हैं। बहनें राखी के साथ भाई को उपहार देती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनके प्रति अपनी भावना प्रकट करते हैं। यह उपहार प्रेम और स्नेह के प्रतीक होते हैं।

समाज में एकता और भाईचारे का संदेश: रक्षाबंधन समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देता है। इस दिन लोग एक-दूसरे के प्रति अपने प्रेम और सम्मान को प्रकट करते हैं। कई स्थानों पर महिलाएं समाज के संरक्षकों, जैसे पुलिस और सेना के जवानों को भी राखी बांधती हैं, जिससे समाज में सुरक्षा और सहयोग की भावना प्रबल होती है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: रक्षाबंधन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत बड़ा है। इस त्योहार के पीछे कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। यह त्योहार भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अद्वितीय (Unique) हिस्सा है।

परिवारिक मिलन: रक्षाबंधन के अवसर पर परिवार के सदस्य एकत्रित होते हैं। यह त्योहार परिवार के सदस्यों के बीच आपसी संबंधों को और भी मजबूत बनाता है। परिवार के सदस्य इस दिन एक साथ मिलकर भोजन करते हैं और खुशी मनाते हैं।

सजावट और मिठाइयाँ: रक्षाबंधन के दिन घरों को विशेष रूप से सजाया जाता है और विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। इन मिठाइयों का सेवन और आदान-प्रदान भाई-बहन के रिश्ते में मिठास को बढ़ाता है।

रक्षाबंधन का त्योहार अपने आप में विशेष और अद्वितीय है क्योंकि यह भाई-बहन के रिश्ते की गहराई, प्रेम, और समर्पण को प्रकट करता है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि चाहे कितनी भी कठिनाई आए, भाई-बहन एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे और अपने रिश्ते को हमेशा मजबूत बनाए रखेंगे।

Q-रक्षाबंधन पर राखी ही क्यों बांधी जाती हैं 

राखी, जिसे रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, भाई-बहन के पवित्र संबंध का प्रतीक है। बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है। राखी बांधने की प्रथा के पीछे कई सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक कारण हैं। आइए जानते हैं कि आखिर राखी ही क्यों बांधती हैं बहनें!

धार्मिक महत्व: राखी का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। रक्षा सूत्र का उल्लेख वेदों और पुराणों में मिलता है। यह एक पवित्र धागा होता है जिसे विशेष मंत्रों और पूजा के साथ बांधा जाता है। राखी को केवल एक धागा नहीं, बल्कि एक पवित्र बंधन माना जाता है जो भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है।

सुरक्षा और समर्पण का प्रतीक: राखी, सुरक्षा और समर्पण का प्रतीक है। बहन जब अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, तो वह अपनी भावनाओं और प्रार्थनाओं को उस धागे में समाहित कर देती है। भाई भी उस राखी को अपने जीवन में सुरक्षा और समर्पण के प्रतीक के रूप में मानता है और अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है।

पौराणिक कथाएँ: कई पौराणिक कथाएँ राखी बांधने की प्रथा के पीछे हैं। उदाहरण के लिए, महाभारत में द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा, जिसमें द्रौपदी ने कृष्ण के घायल हाथ पर अपनी साड़ी का टुकड़ा बांधा था। इसी प्रकार, इंद्राणी ने इंद्र की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था जिससे इंद्र युद्ध में विजयी हुए थे। इन कथाओं में राखी को रक्षा और समर्पण के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है।

सामाजिक परंपरा: राखी बांधने की प्रथा समाज में भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने का एक माध्यम है। यह समाज में एकता, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है। राखी बांधने की प्रथा ने समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को बढ़ावा दिया है।

राखी का पवित्र धागा: राखी का धागा पवित्र माना जाता है। यह धागा केवल एक आभूषण नहीं है, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और महत्वपूर्णता को दर्शाता है। राखी बांधने का कार्य पूजा और मंत्रोच्चार के साथ किया जाता है, जिससे इसकी पवित्रता और बढ़ जाती है।

वचन और जिम्मेदारी: राखी बांधने के बाद भाई अपनी बहन को वचन देता है कि वह उसकी रक्षा करेगा और हर परिस्थिति में उसके साथ खड़ा रहेगा। यह वचन एक जिम्मेदारी की भावना को प्रकट करता है और भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है।

परंपरा और आधुनिकता का संगम: राखी बांधने की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है, लेकिन समय के साथ इसके रूप में भी परिवर्तन आया है। पहले जहां केवल धागे की राखी बांधी जाती थी, वहीं आजकल डिज़ाइनर राखियां, चांदी और सोने की राखियां भी प्रचलन में हैं। इससे राखी की परंपरा और आधुनिकता का संगम देखने को मिलता है।

रक्षाबंधन की विशेषताएँ

Raksha Bandhan 2024 rakhi

राखी की तैयारी: रक्षाबंधन के कुछ दिन पहले  से ही बाजारों में राखियों की बहार आ जाती है। बहनें अपने भाइयों के लिए सुंदर राखियां खरीदती हैं। आजकल राखियों के कई प्रकार बाजार में उपलब्ध हैं, जिनमें परंपरागत धागे से लेकर डिज़ाइनर राखियां, सोने चांदी की राखियां भी शामिल हैं।

पूजा की तैयारी: रक्षाबंधन के दिन विशेष पूजा की जाती है। बहनें थाली सजाती हैं जिसमें राखी, चावल, कुमकुम, दीपक और मिठाई होती है। पूजा के बाद बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, तिलक लगाती हैं और मिठाई खिलाती हैं।

भाई-बहन के रिश्ते की मिठास: यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की मिठास को बढ़ाने का काम करता है। दोनों एक-दूसरे के प्रति अपने प्रेम और स्नेह को प्रकट करते हैं। इस दिन भाई-बहन आपस में उपहारों का आदान-प्रदान भी करते हैं।

सामाजिक समरसता: रक्षाबंधन न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि समाज में भी आपसी सहयोग और समरसता (Harmony) को बढ़ावा देता है। यह त्योहार हमें एकता, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है।

रक्षाबंधन का आधुनिक रूप

समय के साथ रक्षाबंधन के रूप में भी परिवर्तन आया है। पहले जहां केवल भाई-बहन के रिश्ते तक ही सीमित था, वहीं आजकल इसे मित्रों और रिश्तेदारों के बीच भी मनाया जाता है। कई स्थानों पर महिलाएं समाज के संरक्षकों, जैसे पुलिस और सेना के जवानों को भी राखी बांधती हैं।

रक्षाबंधन और सामाजिक सन्देश

रक्षाबंधन का त्योहार हमें एकता और प्रेम का संदेश देता है। यह हमें याद दिलाता है कि भाई-बहन के रिश्ते में केवल खून का संबंध नहीं होता, बल्कि आपसी समझ, विश्वास और सहयोग भी महत्वपूर्ण होता है। यह त्योहार समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के प्रति जागरूकता भी बढ़ाता है।

निष्कर्ष

रक्षाबंधन का त्योहार भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और महत्व को दर्शाता है। रक्षाबंधन हमें प्रेम, विश्वास, और समर्पण का संदेश देता है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि चाहे कितनी भी कठिनाई आए, भाई-बहन एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे। इस तरह, रक्षाबंधन का त्योहार हमारे जीवन में प्रेम और समर्पण की भावना को प्रबल करता है।

〈〈यह भी पढ़े〉〉

ο Vajan Kaise Kam Kare अपनाए ये 10 बेहद आसान घरेलू उपाय, सारे चर्बी होंगे छूमंतर

ο घमौरियों से बचने के 10 महत्वपूर्ण उपाए, नजरअंदाज करने से हो सकते हैं बड़े नुकसान

Sneha Kushwaha

नमस्कार,मैं स्नेहा कुशवाहा अपना ब्लॉगिंग करियर की शुरुआत अप्रैल 2024 में की और आज NewsGery.com पर मेरा काम शिक्षा, लाइफस्टाइल और ट्रेंडिंग न्यूज से संबंधित जानकारी को आपके साथ साझा करना।

RELATED POST

LATEST POST

Leave a Comment

Diwali 2024 10 मिनट में घर पर बनाएं टेस्टी मोमोज JANMASHTAMI 2024: श्री कृष्ण की अनमोल लीलाएँ जन्माष्टमी 2024: श्री कृष्ण के प्रमुख मंदिरों के दर्शन जन्माष्टमी 2024: कैसे करें कान्हा का स्वागत श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2024: महत्व और पौराणिक कथाएँ गर्मियों में घर को ठंडा रखने के आसान तरीके SamSung Galaxy S25 Ultra Display Size Leaks And Rumors Kalki Movies को देखने पर मजबूर कर देंगी ये 10 बातें अक्षय कुमार से जुड़े 5 रोंचक फैक्ट