Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति हिंदू धर्म का पहला और विशेष पर्व माना जाता हैं। मकर संक्रांति का पर्व हर साल मनाया जाता हैं। और यह हर साल जनवरी के महीने 14 और 15 तारीख को ही मनाया जाता हैं। इस दिन गंगा स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व होता है। ऐसे में आइए जानते हैं मकर संक्रांति साल 2025 में कब मनाई जाएगी साथ ही जानें दान पुण्य का मुहूर्त और महत्व।
Makar Sankranti 2025: दोस्तों साल 2025 आरंभ होने जा रहा है। इसी के साथ ये नए साल की शुरुआत मकर संक्रांति के पर्व के साथ हो रही है। संक्रांति के पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता हैं। आपको बता दे की जब भी सूर्य मकर राशि में जाते हैं तो उसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति का पर्व देशभर में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।
Makar Sankranti 2025: वैसे तो आपको बता दे की साल भर में 12 संक्रांति आती हैं लेकिन, इन सभी में से मकर संक्रांति का विशेष महत्व बताया गया है। देश के कई अलग-अलग हिस्सों में मकर संक्रांति को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। आइए जानते हैं साल 2025 में कब मनाई जाएगी मकर संक्रांति। साथ ही जानेंगे मकर संक्रांति का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि।
मकर संक्रांति 2025 में कब मनाई जाएगी
Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति 2025 में 14 जनवरी को मनाई जाएगी। मकर संक्रान्ति पुण्य काल सुबह 09:03 AM से लेकर शाम 05:46 PM तक रहेगा। तो वहीं मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल सुबह 09:03 AM से लेकर सुबह 10:48 AM तक रहेगा। मकर संक्रान्ति का क्षण सुबह 09:03 AM का है। इस शुभ मुहूर्त पर गंगा स्नान और दान करना लाभकारी होगा। ये पूण्य काल 8 घंटे 42 मिनट का होगा।
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त कब है
Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति का यह महा पुण्य काल की बात करें तो वो सुबह 9 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और 10 बजकर 48 मिनट के बाद समाप्त हो जाएगा। ये महा पुण्य काल 1 घंटा 45 मिनट का होगा। ज्योतिष के मुताबिक, इन दोनों ही समय में स्नान और दान करना बहुत ही शुभ होगा। जो भी मकर संक्रांति पर पुण्य काल और महा पुण्य काल पर स्नान और दान करेगा उसे विशेष फल की प्राप्ति होगी।
मकर संक्रांति महत्वपूर्ण क्यों हैं
Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य के पूजा की मान्यता है। इस दिन भगवान सूर्य का पूजन किया जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्य देव के मकर राशि में जाने के साथ दिन बड़े होने लगते हैं और ठंड का प्रकोप धीरे-धीरे धीमा पड़ने लगता है। मकर संक्रांति नई फसल के आने का भी प्रतीक है। इस दिन से भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर भी चलना शुरू कर देते हैं। मकर संक्रांति पर गंगा, यमुना समेत दूसरी पवित्र नदियों में स्नान करने से बहुत पुण्य प्राप्त होता है।
इसके अलावा इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव की राशि यानी मकर में पूरे एक महीने के लिए रहते हैं। दरअसल, सूर्य और शनि के बीच शत्रुता के संबंध है। ऐसे में इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि, इस दिन पिता और पुत्र का मिलन हुआ था।
Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति के दिन ही गंगा सागर में जाकर मिली थीं। दरअसल, गंगा भागीरथ के पीछे पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम में पहुंची इसके बाद सागर में जा मिलीं। इस दिन ही भागीरथ जी ने अपने पूर्वजों के नाम से तर्पण भी किया था।
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