Maha Kumbh 2025: आपको बता दे की कुंभ का वर्णन वेद-पुराणों में भी मिलता है। जिसमें वर्णित कथा के अनुसार कुंभ मेले का संबंध समुद्र मंथन से माना गया है। ये भी कहा जाता है कि महाकुंभ के दौरान गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति को अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। जहां कुंभ मेले का आयोजन 12 साल में होता है वहीं महाकुंभ 12 कुंभ मेले के बाद यानी 144 साल बाद लगता हैं।
Maha Kumbh 2025: कब शुरू हुआ 2025 में कुंभमेला
Maha Kumbh 2025: लोहड़ी पर्व यानी 13 जनवरी, 2025 से महाकुंभ की शुरुआत हुई थी, जिसका आखिरी अमृत स्नान महाशिवरात्रि यानी 26 फरवरी 2025 को किया जाएगा। यह अमृत स्नान कुछ मुख्य तिथियो पर निर्धारित किया गया हैं। जिसे आप यहाँ नीचे देख सटे हैं।
- 13 जनवरी 2025: पौष पूर्णिमा
- 14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति
- 29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या
- 3 फरवरी 2025: वसंत पंचमी
- 12 फरवरी 2025: माघ पूर्णिमा
- 26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि
अब इस मौके पर ये जानना काफी रोचक होगा कि कुंभ का इतिहास आखिर कितना पुराना है। तो चलिए जानते हैं इस बारे में।
महाकुंभ के पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब सभी देवता असुरों से कमजोर होने लगे तब सभी देवताओ ने असुरों के ऊपर विजय पाने के लिए असुरों के समक्ष एक प्रस्तावों रखा जो की अमृत पाने की थी। अब सभी देवता और असुर अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन किया। इस मंथन के दौरान बहुत सारे धन उत्पन्न हुआ जिसको सभी देवता और असुर मिलकर आपस में बाट लिया। इस मंथन के दौरान एक जहरीला वीस(जहर) भी उत्पन्न हुआ जिसको भगवान शिव जि ने अपने कंठ में धरण कर लिए।
Maha Kumbh 2025
इस मंथन के आखिरी में भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए। अमृत को देखकर असुरों के मन में लालच आई और वो अमृत कलश को भगवान धन्वनरी से छीनने के लिए दौरे। इस छीना-झपटी में अमृत की कुछ बूंदें धरती के चार स्थानों पर गिरी। जिससे वह स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक के नाम से विकसित हुआ। माना जाता है कि तभी से इन चार स्थानों पर हर 12 साल के अंतराल में कुंभ का आयोजन होता है।
कुंभमेला का इतिहास
पहली बार कुंभ का आयोजन कब हुआ, इसे लेकर कोई सटीक प्रमाण नहीं मिलता। लेकिन प्रथम कुंभ आयोजन की तारीख को लेकर अलग-अलग मत हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, 7वीं शताब्दी में सम्राट हर्षवर्धन के काल में चीनी तीर्थयात्री ह्वेनसांग ने अपने एक यात्रा विवरण में कुंभ का वर्णन किया है।
इस यात्रा विवरण में उन्होंने प्रयागराज के कुंभ महोत्सव के दौरान संगम पर स्नान का उल्लेख करते हुए इसे पवित्र हिंदू तीर्थस्थल बताया है। वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि 8वीं शताब्दी में भारतीय गुरु तथा दार्शनिक आदि शंकराचार्य जी और उनके शिष्य सुरेश्वराचार्य ने दसनामी संन्यासी अखाड़ों के लिए संगम तट पर स्नान की व्यवस्था की थी।
Maha Kumbh 2025: कैसे लगी आग
Maha Kumbh 2025: 19 जनवरी 2025 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले के दौरान एक भीषण आग लगी, जो तेजी से फैलकर कम से कम 10 टेंटों को अपनी चपेट में ले लिया। हालांकि, आपातकालीन टीमों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आग पर काबू पाया, और इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ।
आपको बता दे की वहा के स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, आग शाम 4:30 बजे के आसपास लगी। जिला मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार मंडेर ने बताया कि फायर ब्रिगेड, पुलिस और आयोजन टीमों ने मिलकर स्थिति को सामान्य किया।
Maha Kumbh 2025
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आग सेक्टर 19 में खाना पकाने के दौरान लगी, जिससे टेंट में रखे पुआल(पुअरा) ने आग पकड़ ली। इसके परिणामस्वरूप, वहां रखे गैस सिलेंडरों में भी विस्फोट हुआ, जिससे आग और भीषण हो गई।
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ मेला, जो 13 जनवरी 2025 से शुरू हुआ है, छह सप्ताह तक चलेगा, और इस दौरान लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है। यह आयोजन गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम पर होता है, जहां श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं।
इस घटना के बाद, प्रशासन ने सुरक्षा उपायों को और कड़ा कर दिया है और आग लगने के कारणों की विस्तृत जांच की जा रही है। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे सुरक्षा निर्देशों का पालन करें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत अधिकारियों को सूचित करें।
अस्वीकरण: Maha Kumbh 2025: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। न्यूजरी(NewsGery) यहां इस लेख फीचर में लिखी गई पौराणिक कथाओ और बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित पौराणिक कथाओ की जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। न्यूजरी(NewsGery) अंधविश्वास के खिलाफ है।