July 2025 में आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि, जिसे गुरु पूर्णिमा के रूप में देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा।

12 जुलाई 2025 (शनिवार) को आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि है, जिसे गुरु पूर्णिमा के रूप में देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। यह दिन गुरु और शिक्षक के प्रति आभार प्रकट करने का पर्व है। भारत में इसे एक धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में देखा जाता है, जिसका विशेष महत्व है। इस लेख में हम जानेंगे आषाढ़ पूर्णिमा 2025 की तारीख, पूजा का महत्व, विधि, शुभ मुहूर्त और इस दिन से जुड़ी खास बातें।
July 2025 की पूर्णिमा कब है?
July 2025 हिंदू पंचांग के अनुसार, जून 2025 की पूर्णिमा तिथि 12 जुलाई 2025 (शनिवार) को पड़ रही है। इसे आषाढ़ पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 11 जुलाई 2025 को शाम 07:32 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 जुलाई 2025 को शाम 05:56 बजे
- गुरु पूर्णिमा व्रत और पूजा: 12 जुलाई 2025 (शनिवार)
चुकी पूर्णिमा तिथि 12 जुलाई को दिन में रहेगी, इसलिए गुरु पूर्णिमा का पर्व भी इसी दिन मनाया जाएगा।
आषाढ़ पूर्णिमा क्या है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की पूर्णिमा तिथि विशेष मानी जाती है। लेकिन आषाढ़ माह की पूर्णिमा को विशेष स्थान प्राप्त है क्योंकि इसी दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व पड़ता है। यह दिन गुरु के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का प्रतीक है।
मान्यता है कि इस दिन वेद व्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने महाभारत और वेदों का संकलन किया था। इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
गुरु पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
गुरु शब्द का अर्थ होता है – “गु” यानी अंधकार और “रु” यानी प्रकाश। गुरु वही होता है जो अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाए। शास्त्रों में भी गुरु को ईश्वर से बढ़कर स्थान दिया गया है।
गुरु पूर्णिमा का दिन विद्यार्थियों, साधकों और भक्तों के लिए बेहद खास होता है। इस दिन लोग अपने गुरु या अध्यापक की पूजा करते हैं, आशीर्वाद लेते हैं और उनकी सेवा करते हैं।
बौद्ध धर्म में भी इस दिन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान बुद्ध ने इसी दिन से अपने प्रथम शिष्य को उपदेश देना प्रारंभ किया था।

गुरु पूर्णिमा पर पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा करते समय निम्नलिखित विधि अपनाई जाती है:
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर को साफ करें और वहां दीप जलाएं।
- अपने गुरु या उनके चित्र/प्रतिमा का पूजन करें।
- पुष्प, चंदन, अक्षत, फल और वस्त्र अर्पित करें।
- “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः…” मंत्र का जाप करें।
- अपने गुरु के चरणों में बैठकर उनका आशीर्वाद लें।
- यदि गुरु सशरीर न हों, तो उनकी स्मृति में ध्यान करें और शास्त्रों का पाठ करें।
गुरु पूर्णिमा पर क्या करें?
- अपने जीवन में जिन लोगों से आपने शिक्षा या मार्गदर्शन प्राप्त किया है, उन्हें धन्यवाद दें।
- अध्यात्म की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लें।
- गरीबों को अन्न, वस्त्र या दान दें।
- पुस्तकें, शिक्षा सामग्री या धार्मिक ग्रंथों का वितरण करें।
गुरु का स्थान शास्त्रों में
अपको बता दे की शास्त्रों में गुरु की महिमा का भी वर्णन किया गया हैं जो इस प्रकार किया गया है:
“गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः।
गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः।।”
इस श्लोक में गुरु को त्रिदेवों के रूप में दर्शाया गया है – जो सृष्टि की रचना, पालन और संहार करते हैं। इसलिए गुरु को सर्वोच्च स्थान दिया गया है।
आधुनिक जीवन में गुरु का महत्व
आज के युग में गुरु का अर्थ केवल धार्मिक गुरु तक सीमित नहीं है। जीवन में जो भी हमें सही दिशा दिखाए, चाहे वह माता-पिता हों, शिक्षक हों, मेंटर हो या जीवन का कोई अनुभव – सब गुरु के रूप में होते हैं।
गुरु पूर्णिमा हमें यह अवसर देता है कि हम अपने जीवन में आए उन सभी गुरुओं का सम्मान करें, जिन्होंने हमें बेहतर इंसान बनने में मदद की।
गुरु पूर्णिमा और योग साधना
योग साधना करने वालों के लिए भी यह दिन बेहद खास होता है। भारत में कई योग संस्थान इस दिन विशेष ध्यान और साधना शिविर आयोजित करते हैं। यह दिन आत्मनिरीक्षण, ध्यान और आत्म-संयम का दिन माना जाता है।
निष्कर्ष
12 जुलाई 2025 को आषाढ़ पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा का यह पावन अवसर हमें अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण तत्व – गुरु – की अहमियत याद दिलाता है। इस दिन हम अपने शिक्षक, माता-पिता, आध्यात्मिक गुरु और जीवन के सभी पथप्रदर्शकों को धन्यवाद दें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सफल बनाएं।
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