Jitiya Vrat 2024: हिंदू धर्म में जितिया व्रत को विशेष महत्व दिया जाता है। आपको बता दे की ये व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए रखती हैं। तो आज की इस लेख में हम जानेंगे की जीतिया व्रत कब हैं और क्यों मानते हैं और साथ ही ये भी जानेंगे की इस व्रत के दिन किसकी पूजा करते हैं।
Jitiya Vrat 2024 कब हैं
हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार 2024 में जीवित्पुत्रिका यानि जिउतिया व्रत 25 सितंबर को रखा जाएगा। अष्टमी तिथि का प्रारंभ 24 सितंबर 2024 की दोपहर 12 बजकर 28 मिनट से होगा और इसकी समाप्ति 25 सितंबर 2024 की दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर होगी।
जितिया व्रत में किस भगवान की पूजा की जाती है
जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत माताओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन सभी महिलाएं अपने पुत्र के लाभ उन्नति और सकुसल रहने की प्रार्थना करती हैं। इस दिन सभी महिलाएं भगवान जीमूतवाहन की विधिवत पूजा करती है।
जितिया व्रत का त्योहार कौन मनाता है
जितिया व्रत मिथिलांचल की नेपाली विवाहित महिलाओं और पूर्वी और मध्य नेपाल की थारू महिलाओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस व्रत में नेपाली थारू महिलाएँ इस दिन निर्जला व्रत (बिना पानी के) रखती हैं और अगले दिन अष्टमी के दिन अपने व्रत को तोड़ती हैं। कभी-कभी, जब अष्टमी दोपहर में शुरू होती है, तो महिलाओं को दो दिन तक उपवास करना पड़ सकता है।
जितिया भगवान कौन थे
आप चाहे जितिया व्रत या कहें जीवित पुत्रिका व्रत इस दिन महिलाएं अपनी संतान की सलामती और दीर्घायु के लिए करती हैं और इस दिन भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती हैं।
जितिया का व्रत कैसे तोड़ा जाता है
माताएं एक दिन बिना पानी के उपवास करती हैं, फिर अगली सुबह चावल की खिचड़ी (माड़ भात), पकौरी के रूप में रिकवच और ककड़ी के साथ अपना उपवास तोड़ती हैं, कुछ स्थानों पर लोग भगवान को पवित्र व्यंजनों का भोग लगाने के बाद नोनी साग और मडुआ रोटी भी खाते हैं। ये भी मान्यता हैं की जिसके पास ये सब सामग्री जुटाने का सामर्थ्य नहीं हैं तो वो अपने सामर्थ्य अनुसार भोजन कर के भी अपना व्रत को तोड़ सकती हैं।
जितिया में किस देवता की पूजा होती है
आपको बता दे की ईश्वर की पूजा करते समय हमें हमेशा पंच देव-सूर्य देव, श्री गणेश, देवी दुर्गा, भगवान शंकर और भगवान विष्णु का ध्यान अवश्य करना चाहिए। ईश्वर की पूजा में हमेशा स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहन कर पवित्र मन से पूजा करनी चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात आपको भगवान की पूजा करते समय क्रोध नहीं करना चाहिए।
जितिया कैसे पहनते हैं
जितिया व्रत के दिन सभी महिलाएं गांठ बांधने की बजाय धागे में लॉकेट बांधकर पहनती हैं । बताया जाता हैं की यह परंपरा और मान्यता सदियों से चली आ रही है और इसका गहरा सांस्कृतिक महत्व है।
जितिया पूजा क्यों मनाई जाती है
आपको बता दे की बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में जितिया का बहुत महत्व है और लगभग सभी माताएं अपने बच्चों की अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए जीवन भर इस व्रत को रखती हैं। वे अपने बच्चों के सुखी और लंबे जीवन के लिए भी प्रार्थना करती हैं और व्रत के दौरान कुछ भी खाने-पीने से परहेज करती हैं।
जीतबहन कौन है
हालांकि, जितिया की मुख्य देवी जितबाहन हैं। आपको बता दे की अनुष्ठान के मुख्य भाग में सभी महिलाएं प्रकृति की पूजा करती हैं।
खार जितिया क्या है
आपको बता दे की इस व्रत को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह एक दिन मनाया जाता है और कुछ का मानना है कि यह तीन दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन महिलाएं पूजा करती हैं और सरपुतिया सब्जी या नूनी साग खाती हैं। दूसरे दिन को खर या खुर जितिया कहते हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं।
ऐसी कौन सी देवी है जिसकी जीतिया में पूजा नहीं होती है
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ऐसी भी एक देवी हैं जिनकी कभी पूजा नहीं की जाती। जि हाँ कभी भी उनका आह्वाहन नहीं किया जाता और कोशिश किया जाता है कि अपने घर में उनका वास काभी ना हो। ये देवी हैं अलक्ष्मी जो लक्ष्मी माता की बड़ी बहन हैं और दरिद्रता की देवी मानी जाती हैं।