Golden Hour: ऑनलाइन फ्रॉड(Online Fraud) के बाद पहला 1-2 घंटे का समय यानी “गोल्डन आवर” सबसे अहम होता है। जानें तुरंत शिकायत कैसे करें और पैसे कैसे बचाएं।

आजकल लोग डिजिटल पेमेंट और UPI से तुरंत पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं। ये सुविधा जितनी आसान है, उतना ही बढ़ गया है साइबर क्राइम। लोग एक क्लिक में बिल भरते हैं, लेकिन कई बार इसी सुविधा के नाम पर फ्रॉड हो जाता है।
क्या होता है Golden Hour?
गोल्डन आवर यानी वो शुरुआती 1 से 2 घंटे का समय जब ऑनलाइन फ्रॉड के तुरंत बाद अगर आप एक्शन लें, तो पैसा रिकवर हो सकता है। इस समय पर किया गया कदम आपको बड़ा नुकसान होने से बचा सकता है।
क्यों है गोल्डन आवर सबसे अहम?
Fraud Call के बाद तुरंत पैसा फ्रॉड करने वाले के पास नहीं पहुंचता। कुछ समय तक वो बैंकिंग चैनल में अटका रहता है। इस दौरान अगर बैंक या साइबर सेल को अलर्ट किया जाए, तो ट्रांजेक्शन रोकी जा सकती है या पैसे को फ्रीज़ किया जा सकता है।
शिकायत कहां करें?

जैसे ही आपको लगे कि फ्रॉड हुआ है, तुरंत 1930 पर कॉल करें। यह भारत सरकार की साइबर हेल्पलाइन है। साथ ही, www.cybercrime.gov.in वेबसाइट पर भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
बैंक को कैसे सूचित करें?
अपने बैंक के कस्टमर केयर या ब्रांच से तुरंत संपर्क करें। ट्रांजेक्शन डिटेल्स शेयर करें और ट्रांजेक्शन को रोकने की रिक्वेस्ट करें। कुछ बैंक ऐप्स में “Report Fraud” का ऑप्शन भी होता है, उसे भी तुरंत उपयोग करें।
Fraud Call की पहचान कैसे करें?
अगर OTP शेयर किए बिना पैसे कट जाएं, फर्जी कॉल से बैंक डिटेल मांगी जाएं या किसी लिंक पर क्लिक करते ही अकाउंट एक्सेस हो जाए – तो समझिए कि फ्रॉड हुआ है। ऐसे मामलों में सेकंड की भीमती होती है।
शिकायत में देरी क्यों पड़ सकती है भारी?
अगर आप देर करते हैं, तो फ्रॉड करने वाला तुरंत पैसे को दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर सकता है। ऐसे में पैसा ट्रेस करना या वापस लाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए “गोल्डन आवर” में ही एक्शन लें।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से समाधान नहीं मिला तो?
अगर वेबसाइट या फोन से समाधान नहीं मिला, तो नज़दीकी साइबर सेल या पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दर्ज कराएं। हर जगह शिकायत की एक कॉपी और स्क्रीनशॉट संभालकर रखें ताकि आगे की प्रक्रिया आसान हो।
निष्कर्ष
ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों में पहला 1-2 घंटे यानी गोल्डन आवर सबसे अहम होता है। तुरंत शिकायत करके आप अपने पैसे को सुरक्षित रख सकते हैं। सतर्क रहें, किसी भी संदिग्ध कॉल या लिंक से दूरी बनाएं और फ्रॉड होते ही एक्शन लें।
अस्वीकरण:
यह जानकारी जनहित में दी गई है। किसी भी तरह के साइबर अपराध की स्थिति में अधिकृत पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करना ही सबसे उचित उपाय है।
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