रंगोली, फूलों और दीयों से घर सजाएं। कान्हा के स्वागत के लिए द्वार और पूजा स्थल को विशेष रूप से सजाएं। घर को पवित्र और सुंदर बनाएं। 

भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या बाल गोपाल की मूर्ति को नए वस्त्र पहनाएं और सोने या चांदी की पालकी में स्थापित करें। उनके लिए झूला भी सजाएं।

पूरे दिन भजन-कीर्तन और आरती का आयोजन करें। कृष्ण भक्ति गीतों से घर का वातावरण भक्तिमय बनाएं। आस पास के साथ मिलकर कीर्तन करें। 

कान्हा को पसंदीदा व्यंजन जैसे माखन, मिश्री, फल, और पंचामृत का भोग लगाएं। घर में 56 भोग की परंपरा भी निभा सकते हैं। 

दही हांडी की परंपरा का पालन करें। इसमें मटकी को ऊँचाई पर लटकाकर उसे फोड़ने का आयोजन करें, जो श्री कृष्ण की माखन चुराने की लीला का प्रतीक है। 

जन्माष्टमी के दिन श्रीमद् भगवद गीता का पाठ करें। गीता के उपदेशों को समझें और जीवन में आत्मसात करें। 

जन्माष्टमी के दिन व्रत रखें और उपवास करें। दिन में  फलों का सेवन कर सकते हैं और रात में मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण के जन्म के बाद भोजन ग्रहण करें। 

आधी रात को श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का आयोजन करें। उनकी मूर्ति का अभिषेक करें, पालना झुलाएं और प्रसाद बांटें। इस समय को भगवान के आगमन के रूप में मनाएं।