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DeepFake क्या है, कैसे आम लोगों के लिए ये खतरा बन गया है, जाने असली और नकली में फर्क

By Sneha Kushwaha

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DeepFake क्या है  यह एक ऐसा तकनीकी उन्नति है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का उपयोग करके नकली मीडिया कंटेंट बनाने के लिए किया जाता है। डीपफेक शब्द ‘डीप लर्निंग’ और ‘फेक’ के संयोजन से बना है। यह तकनीक वीडियो, ऑडियो, और इमेज को इतनी सटीकता से बदल सकती है कि असली और नकली के बीच का फर्क करना मुश्किल हो जाता है लेकिन आज की इस लेख मे हम पूरी विस्तार मे जानेंगे असली नकली मे फर्क करना सीखेंगे।

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DeepFake कैसे काम करता है 

डीपफेक को एक तरह से तकनीक का मुख्य आधार डीप लर्निंग है, जो AI का एक उपश्रेणी है। डीप लर्निंग का उपयोग करके ‘बड़े डेटा’ सेट को प्रोसेस किया जाता है और इनसे मॉडल को ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे नकली कंटेंट उत्पन्न कर सकें। डीपफेक आमतौर पर जनरेटिव एडवर्सेरियल नेटवर्क्स (GANs) का उपयोग करता है, जो दो नेटवर्क्स से मिलकर बनता है।

1. जनरेटर नेटवर्क: यह नेटवर्क नकली डेटा उत्पन्न करने का कार्य करता है।
2. डिस्क्रिमिनेटर नेटवर्क: यह नेटवर्क असली और नकली डेटा के बीच का अंतर समझने की कोशिश करता है।
ये दोनों नेटवर्क एक दूसरे के खिलाफ काम करते हैं, जिससे समय के साथ जनरेटर नेटवर्क अधिक सटीक नकली कंटेंट उत्पन्न करने में सक्षम हो जाता है जनरेटर नेटवर्क धीरे-धीरे सुधार करता है जब तक डिस्क्रिमिनेटर नेटवर्क उसे पहचानने में विफल न हो जाए। इस प्रकार, समय के साथ नकली वीडियो या इमेज अधिक सटीक और विश्वसनीय हो जाते हैं।

DeepFake के प्रकार Types of DeepFake

डिपफेक के मुख्यत: तीन प्रकार होते है-

1. वीडियो डीपफेक: इसमें किसी व्यक्ति के चेहरे या पूरे शरीर को दूसरे व्यक्ति के शरीर पर सुपरइम्पोज़ किया जाता है। इसका उपयोग फिल्मों में विशेष प्रभावों के लिए किया जा सकता है, जैसे कि मृत अभिनेता को फिर से जीवित करने के लिए।

2. ऑडियो डीपफेक: इसमें किसी व्यक्ति की आवाज़ को नकली तरीके से उत्पन्न किया जाता है। इसका उपयोग नकली फोन कॉल्स, पर्सनल असिस्टेंट्स, और अन्य आवाज आधारित अनुप्रयोगों में किया जा सकता है।

3. इमेज डीपफेक: इसमें इमेज को मॉडिफाई किया जाता है ताकि वे किसी और की तरह दिखें। इसका उपयोग नकली तस्वीरें बनाने के लिए किया जा सकता है जो सोशल मीडिया पर फैल सकती हैं।

DeepFake App

DeepFake डेटा बनाना आज कल इतना आसान हो गया इसके कई सारे एप मार्केट मौजूद है आपको सिर्फ कमांड करना हैं ये एप सेकेंडों आपका काम कर सकती हैं कुछ पॉपुलर एप निम्नलिखित है-

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FaceApp lensa MyHeritage FaceMagic DeepArt

DeepFake के उपयोग 

डीपफेक तकनीक का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जा सकता है-

मनोरंजन: फिल्मों और टीवी शो में विशेष प्रभावों के लिए।
शिक्षा: ऐतिहासिक घटनाओं या व्यक्तियों के बारे में जीवंत शिक्षण अनुभव प्रदान करने के लिए।
मार्केटिंग: विज्ञापन अभियानों में प्रभावशाली और अनुकूलन योग्य कंटेंट बनाने के लिए।
सुरक्षा: कुछ विशेष मामलों में, विशेष रूप से साइबर सुरक्षा में, डीपफेक का उपयोग सुरक्षा प्रणालियों की जांच करने के लिए किया जा सकता है।

DeepFake के खतरे 

डीपफेक तकनीक के उपयोग के साथ कई खतरे भी जुड़े हुए हैं-

गलत जानकारी और अफवाहें: डीपफेक का उपयोग राजनीतिक नेताओं, हस्तियों, या अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों के बारे में गलत जानकारी फैलाने के लिए किया जा सकता है।
प्रतिष्ठा को नुकसान: किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए नकली वीडियो या ऑडियो क्लिप्स का उपयोग किया जा सकता है।
चोरी और धोखाधड़ी: बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में, डीपफेक का उपयोग धोखाधड़ी के लिए किया जा सकता है।
निजता का उल्लंघन: डीपफेक का उपयोग करके किसी की निजी जानकारी का उल्लंघन किया जा सकता है, जिससे उसकी निजता खतरे में पड़ सकती है।

DeepFake असली और नकली में फर्क

डीपफेक को पहचानने के लिए कई तकनीकें विकसित की जा रही हैं-

बायोलॉजिकल सिग्नेचर्स: चेहरे की अद्वितीय विशेषताओं का विश्लेषण करके नकली वीडियो की पहचान करना।
मशीन लर्निंग मॉडल्स: विशेष मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके नकली और असली कंटेंट के बीच का अंतर समझना।
मेटाडेटा: वीडियो और ऑडियो फाइलों के मेटाडेटा का विश्लेषण करके उसकी वैधता की जांच करना।
मानव पहचान: प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा नकली और असली कंटेंट की मैन्युअल जांच।

इसके अलावा इस तरह के वीडियो और इमेज की क्वालिटी (Quality) बेहद कम होती है इसमे आप फ्रेम बाइ फ्रेम जांच कर असली और नकली का पता आसानी से लगा सकते हैं इसमे आप आँखों की बनावट से लेकर चेहरा, हाँथ तथा उन सभी जगह को चेक कर सकते है जहा आपको सक है।

इस वीडियो के माध्यम से जाने DeepFake के बारे में 

DeepFake के प्रभाव से कानूनी और नैतिक मुद्दे

डीपफेक तकनीक के उपयोग के साथ कई कानूनी और नैतिक मुद्दे भी जुड़े हैं। कई देशों में डीपफेक के उपयोग के खिलाफ कानून बनाए जा रहे हैं। एक तरह से देखा जाए तो, नैतिक दृष्टिकोण से, यह महत्वपूर्ण है कि इस तकनीक का उपयोग जिम्मेदारी से किया जाए ताकि किसी को नुकसान न पहुंचे।

Conclusion निष्कर्ष 

डीपफेक एक बहुत ही शक्तिशाली तकनीक है, जो AI और मशीन लर्निंग की क्षमताओं को दर्शाती है। हालांकि, इसके साथ जुड़े खतरों को ध्यान में रखते हुए, इसका उपयोग सोच-समझकर और जिम्मेदारी से करना आवश्यक है। तकनीकी उन्नति के साथ-साथ, इसे नियंत्रित करने और इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए कानूनी और नैतिक मानकों की भी आवश्यकता है।

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Sneha Kushwaha

नमस्कार,मैं स्नेहा कुशवाहा अपना ब्लॉगिंग करियर की शुरुआत अप्रैल 2024 में की और आज NewsGery.com पर मेरा काम शिक्षा, लाइफस्टाइल और ट्रेंडिंग न्यूज से संबंधित जानकारी को आपके साथ साझा करना।

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